Sebi Charts AI Rulebook For Stock Market! A Five-Point Framework to Govern Machine Learning Use in Securities: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शेयर बाजार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के उपयोग को रेगुलेट करने के लिए एक 5-पॉइंट फ्रेमवर्क जारी किया है। यह नया नियमावली ब्रोकरेज फर्म्स, म्यूचुअल फंड्स और फिनटेक कंपनियों के लिए AI/ML के इस्तेमाल में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे:
सेबी का AI रूलबुक क्या है?
5-पॉइंट फ्रेमवर्क की मुख्य बातें
निवेशकों के लिए क्या बदलेगा?
AI/ML का शेयर बाजार में कैसे हो रहा है इस्तेमाल?
सेबी ने AI/ML पर नियम क्यों बनाए?
1. AI का बढ़ता दखल
- अल्गो ट्रेडिंग में AI का बड़ा रोल
- रोबो-एडवाइजर्स द्वारा निवेश सुझाव
- फ्रॉड डिटेक्शन में मशीन लर्निंग
2. संभावित जोखिम
- मार्केट मैनिपुलेशन की आशंका
- डेटा प्राइवेसी को खतरा
- एल्गोरिदमिक बायस (पक्षपात) की समस्या
सेबी का 5-पॉइंट AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क
1. जवाबदेही और पारदर्शिता (Accountability)
- AI मॉडल्स का ऑडिट अनिवार्य
- निवेशकों को स्पष्ट जानकारी कि AI कैसे निर्णय लेता है
2. डेटा सिक्योरिटी और गोपनीयता
- यूजर डेटा का दुरुपयोग रोकने के उपाय
- एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन अनिवार्य
3. निष्पक्षता और पक्षपात रहित एल्गोरिदम
- AI मॉडल्स में बायस टेस्टिंग जरूरी
- सेबी को कोड रिव्यू का अधिकार
4. रिस्क मैनेजमेंट
- मैनुअल ओवरराइड की सुविधा
- AI फेलियर की स्थिति में बैकअप प्लान
5. कंप्लायंस और रिपोर्टिंग
- त्रैमासिक रिपोर्ट सेबी को भेजनी होगी
- AI से जुड़ी शिकायतों का 7 दिनों में निपटान
निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है यह फ्रेमवर्क?
1. फायदे
- अधिक सुरक्षित AI-आधारित सर्विसेज
- कम होगा फ्रॉड और मैनिपुलेशन का खतरा
- पारदर्शी निवेश सलाह
2. चुनौतियाँ
- ब्रोकर्स के चार्जेस बढ़ सकते हैं
- नए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन को समझने में दिक्कत
शेयर बाजार में AI/ML के प्रमुख उपयोग
1. अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग
- हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT)
- प्राइस प्रेडिक्शन मॉडल्स
2. रोबो-एडवाइजर्स
- कुंडली एनालिसिस (पर्सनलाइज्ड पोर्टफोलियो)
- ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट
3. फ्रॉड डिटेक्शन
- अनियमित ट्रेडिंग पैटर्न की पहचान
- मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम
निष्कर्ष: क्या भारत का शेयर बाजार AI रेगुलेशन में अग्रणी बनेगा?
सेबी का यह AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क भारत को ग्लोबल फिनटेक रेगुलेशन में अग्रणी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, टेक्नोलॉजी और रेगुलेशन के बीच संतुलन बनाए रखना अभी भी एक चुनौती है। निवेशकों के लिए यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और भी सुरक्षित हो जाएंगी।