Investors flock to thematic funds, but SIP stability wobbles under sector rush: हाल के दिनों में, भारतीय निवेशकों में थीमैटिक फंड्स (Thematic Funds) के प्रति खासा आकर्षण देखने को मिल रहा है। ये फंड्स किसी खास सेक्टर (जैसे रिन्यूएबल एनर्जी, टेक्नोलॉजी, या हेल्थकेयर) पर फोकस करते हैं और मार्केट के ट्रेंड्स का फायदा उठाने का मौका देते हैं।
लेकिन, MIRA Money के मोहित बागड़ी के अनुसार, इस सेक्टर-स्पेसिफिक रुझान के कारण SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) की स्थिरता प्रभावित हो रही है। क्या यह ट्रेंड निवेशकों के लिए फायदेमंद है या जोखिम भरा? आइए, विस्तार से समझते हैं।
Investors flock to thematic funds, but SIP stability wobbles under sector rush: थीमैटिक फंड्स क्या हैं?
थीमैटिक फंड्स ऐसे म्यूचुअल फंड हैं जो किसी खास थीम या सेक्टर में निवेश करते हैं, जैसे:
- ग्रीन एनर्जी (सौर ऊर्जा, विंड पावर)
- डिजिटल इंडिया (IT, फिनटेक)
- हेल्थकेयर एंड फार्मा
- इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट
थीमैटिक फंड्स के फायदे
हाई ग्रोथ पोटेंशियल – अगर सेक्टर अच्छा परफॉर्म करे, तो रिटर्न बेहतर मिल सकता है।
डायवर्सिफिकेशन – पोर्टफोलियो में अलग-अलग थीम्स जोड़कर रिस्क कम किया जा सकता है।
ट्रेंड का फायदा – नए उभरते सेक्टर्स में अर्ली एंट्री का मौका।
थीमैटिक फंड्स के नुकसान
हाई रिस्क – अगर सेक्टर में मंदी आई, तो नुकसान भारी हो सकता है।
कम लिक्विडिटी – कुछ थीम्स में एक्जिट करना मुश्किल हो सकता है।
SIP की अस्थिरता – सेक्टर-स्पेसिफिक फंड्स में लंबी अवधि के SIP सही नहीं हो सकते।
SIP स्थिरता पर क्यों उठ रहे सवाल?
मोहित बागड़ी के अनुसार, थीमैटिक फंड्स में निवेशक शॉर्ट-टर्म ट्रेंड्स के पीछे भाग रहे हैं, जिससे:
- SIP की नियमितता प्रभावित हो रही है।
- निवेशक सेक्टरल रिस्क को कम करके आंक रहे हैं।
- लंबी अवधि के फाइनेंशियल गोल्स पर ध्यान कम हो रहा है।
SIP vs थीमैटिक फंड्स: क्या बेहतर?
पैरामीटर | SIP (डायवर्सिफाइड फंड्स) | थीमैटिक फंड्स |
---|---|---|
रिस्क | कम (मार्केट-वाइड एक्सपोजर) | ज्यादा (सेक्टर-स्पेसिफिक) |
रिटर्न | स्थिर | हाई (लेकिन अनिश्चित) |
समय अवधि | लंबी अवधि (5-10 साल) | शॉर्ट-टू-मीडियम टर्म |
लिक्विडिटी | अच्छी | सेक्टर पर निर्भर |
Investors flock to thematic funds, but SIP stability wobbles under sector rush: निवेशकों के लिए सुझाव
- थीमैटिक फंड्स में सीमित निवेश करें – पोर्टफोलियो का 10-15% हिस्सा ही रखें।
- SIP को जारी रखें – लंबी अवधि के लिए डायवर्सिफाइड फंड्स बेहतर हैं।
- सेक्टर रिसर्च करें – बिना जानकारी के किसी ट्रेंड में न पड़ें।
- एक्सपर्ट सलाह लें – फाइनेंशियल प्लानर से सलाह लेकर ही निवेश करें।
निष्कर्ष
थीमैटिक फंड्स में हाई रिटर्न की संभावना निवेशकों को आकर्षित कर रही है, लेकिन SIP की स्थिरता और लंबी अवधि के लक्ष्यों पर इसका असर पड़ सकता है। मोहित बागड़ी का मानना है कि निवेशकों को संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखना चाहिए, जिसमें डायवर्सिफाइड फंड्स के साथ-साथ सीमित थीमैटिक एक्सपोजर शामिल हो।