Drowning in EMIs, How India’s middle class is caught in vicious circle of debt : कैसे भारत का मिडिल क्लास कर्ज, बचत और SIP के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है?

Drowning in EMIs: आज भारत का मिडिल क्लास EMI (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट) के बोझ तले दबता जा रहा है। घर, कार, गैजेट्स, पर्सनल लोन—हर चीज़ के लिए EMI भरने की आदत ने लोगों को “कर्ज के जाल” में फंसा दिया है। साथ ही, बचत और SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश का दबाव भी बढ़ रहा है।

सवाल यह है: क्या भारत का मध्यम वर्ग इस “कर्ज-बचत-SIP” के चक्रव्यूह से बाहर निकल पाएगा? इस आर्टिकल में हम इसी समस्या की गहराई से पड़ताल करेंगे और समाधान के रास्ते सुझाएंगे।

How India’s middle class is caught in vicious circle of debt: भारत में EMI कल्चर का बढ़ता प्रभाव

आजकल हर दूसरा व्यक्ति EMI पर जीवन जी रहा है। लेकिन क्या यह स्थिति सही है?

EMI की लत के मुख्य कारण:

  • आसान कर्ज की उपलब्धता (क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, बिना डाउन पेमेंट के ऑफर्स)
  • लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन (दिखावे की जिंदगी जीने का दबाव)
  • मार्केटिंग ट्रैप्स (“0% EMI”, “No Cost EMI” के झांसे)
  • इमरजेंसी फंड की कमी (अचानक खर्चों के लिए बचत न होना)

आंकड़े क्या कहते हैं?

  • RBI के अनुसार, भारत में पर्सनल लोन 2023 में 30% बढ़ा।
  • क्रेडिट कार्ड बकाया ₹2 लाख करोड़ को पार कर चुका है।
  • 50% से ज्यादा युवा अपनी सैलरी का 30-50% हिस्सा EMI में दे रहे हैं।

EMI, बचत और SIP का जाल: कैसे फंस रहे हैं लोग?

आजकल फाइनेंशियल प्लानिंग में “कर्ज चुकाओ, बचत करो, SIP शुरू करो” जैसी सलाह दी जाती है। लेकिन असल में क्या हो रहा है?

यह चक्र कैसे काम करता है?

  1. कर्ज लेते हैं → EMI शुरू होती है
  2. सैलरी आती है → पहले EMI कटती है
  3. बचा हुआ पैसा → बचत या SIP में जाता है
  4. अगले महीने फिर कर्ज लेने की जरूरत (क्योंकि बचत कम है)

नतीजा? एक “कभी न खत्म होने वाला चक्र” बन जाता है।

क्या इस स्थिति से बाहर निकला जा सकता है?

हां, लेकिन इसके लिए डिसिप्लिन और सही फाइनेंशियल प्लानिंग की जरूरत है।

How India’s middle class is caught in vicious circle of debt: समाधान: कर्ज से मुक्ति के उपाय

1. EMI की जगह Cash खर्च करने की आदत डालें

  • 50-30-20 रूल फॉलो करें:
    • 50% → जरूरी खर्च (रेंट, फूड, बिल्स)
    • 30% → वैकल्पिक खर्च (शॉपिंग, ट्रिप)
    • 20% → बचत/निवेश

2. High-Interest Loans को पहले चुकाएं

  • क्रेडिट कार्ड (18-40% ब्याज) → पर्सनल लोन (12-18%) → होम लोन (8-10%)
  • “स्नोबॉल मेथड” अपनाएं (छोटे कर्ज पहले चुकाएं)

3. इमरजेंसी फंड बनाएं

  • कम से कम 6 महीने की सैलरी बचाकर रखें
  • लिक्विड फंड या FD में इन्वेस्ट करें

4. SIP शुरू करें, लेकिन समझदारी से

  • SIP में ज्यादा पैसा न डालें अगर EMI ज्यादा है
  • लॉन्ग-टर्म गोल (5-10 साल) के लिए ही SIP चुनें

कर्ज मुक्ति के लिए जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया

अगर आप कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इन स्टेप्स को फॉलो करें:

जरूरी दस्तावेज:

  • बैंक स्टेटमेंट (6 महीने)
  • लोन डिटेल्स (EMI शेड्यूल)
  • सैलरी स्लिप / इनकम प्रूफ

प्रक्रिया:

  1. सभी कर्ज की लिस्ट बनाएं (ब्याज दर के हिसाब से)
  2. कर्ज चुकाने की प्राथमिकता तय करें
  3. अनावश्यक खर्चे कम करें (सब्सक्रिप्शन, डेली कॉफी, फास्ट फूड)
  4. अतिरिक्त इनकम के स्रोत ढूंढें (फ्रीलांसिंग, पार्ट-टाइम जॉब)

निष्कर्ष: क्या करें?

EMI का बोझ अगर आपको दबा रहा है, तो आज ही एक्शन लें। छोटे-छोटे कदमों से कर्ज को कम करें और फाइनेंशियल फ्रीडम की ओर बढ़ें।

👉 याद रखें:

  • “No Cost EMI” वास्तव में “कॉस्टली” होती है!
  • बचत और निवेश तभी करें जब कर्ज कम हो।
  • सैलरी का 30% से ज्यादा EMI में न जाने दें।

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